योजना आयोग के साथ समन्वय

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भारत की तकनीकी शिक्षा 12000 से अधिक संसथाओं के साथ प्रगति के पथ पर अग्रसर है। 1950 और 1960 के दशकों में उच्चतर शिक्षा पर किए गए निवेश में हमें अनेक क्षेत्रों में एक सृदृढ़ ज्ञान आधार प्रदान किया है तथा उसने स्वतंत्र भारत में आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति और राजनीतिक लोकतंत्र के प्रति उल्लेखनीय योगदान दिया है।

स्वतंत्रता के समय पर विश्वविद्यालयों की संख्या 22 से अधिक नहीं थी तथा उनमें कुल नामांकन 1.0 लाख से कम था। दसवीं योजना की समाप्ति तक भारतीय उच्चतर शिक्षा प्रणाली विश्व में सबसे विशाल बन गई जिसमें 378 विश्वविद्यालय, 18064 महाविद्यालय तथा 9.92 लाख की संकाय-सदस्यता संख्या थी और इसमें 140 लाख विद्यार्थी थे।

उच्चतर शिक्षा संस्थाओं में 23 केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयू), 216 राज्य विश्वविद्यालय, 1110 मानित विश्वविद्यालय, 11 प्राइवेट विश्वविद्यालय और 13 राष्ट्रीय महत्व की संस्थाएं थीं जिनकी स्थापना केन्द्रीय विधान के माध्यम से हुई थी तथा अन्य 5 संस्थाएं राज्य विधानों के माध्यम से स्थापित की गई थीं।

इस व्यापक विस्तार के बावजूर यह स्पष्ट है कि यह प्रणाली पर्याप्त मात्रा में कुशल मानवशक्ति उपलब्ध कराने के तनाव में है, जो अर्थव्यवस्था की मांगों की पूर्ति करने के लिए अपेक्षित ज्ञान और तकनीकी कौशलों से लैस हो। हमारी अर्थव्यवस्था के त्वरित विकास ने पहले ही उच्च गुणवत्ता वाली तकनीकी मानवशक्ति का अभाव सृजित कर दिया है। विकसित देशों के विपरीत, जहां युवा कार्यकारी आयु की जनसंख्या तेजी से कम हो रही है तथा उच्चतर आश्रिता दर बढ़ रही है, भारत को जनसांख्यिकीय लाभ प्राप्त है क्योंकि इसकी 70 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष की आयु से कम की है। परंतु इस लाभ को केवल तभी प्राप्त किया जा सकता है जब हम अपने युवाओं के लिए व्यापक पैमाने पर अवसर उपलब्ध कराएं तथा ऐसे अवसर विभिन्न क्षेत्रों में हों, जैसे आधारभूत विज्ञान, इंजीनियरी और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य देखरेख, वास्तुकला, प्रबंधन आदि। ऐसा केवल तभी संभव है यदि हम तेजी से विस्तार तो आरंभ करें लेकिन साथ ही साथ उच्चतर तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा क्षेत्रों में लंबे समय से लंबित सुधार भी करते रहें।

सार्वजनिक खर्च को बढ़ाकर, निजी पहलों को प्रोत्साहित करने, और लंबी अतिदेय प्रमुख संस्थागत और नीति सुधारों की शुरूआत करके उच्च और तकनीकी शिक्षा प्रणाली में गुणवत्ता में सुधार, समावेश और तेजी से सुधार, ग्यारहवीं योजना प्रयासों का मुख्य रूप होगा हमारा दीर्घकालिक लक्ष्य भारत को एक राष्ट्र के रूप में स्थापित करना है, जिसमें सभी लोग उच्च गुणवत्ता वाले उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, जो कि उनकी भुगतान क्षमता के बावजूद भी इसका उपयोग कर सकते हैं।


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