सीखना और बढ़ते हुए
सीखने का अर्थ है नया ज्ञान, व्यवहार, कौशल, मूल्य अथवा अधिमान अर्जित करना। इसमें विभिन्न प्रकार की जानकारी का प्रक्रमण शामिल हो सकता है। सीखने की क्रियाएं भिन्न-भिन्न प्रकार की शिक्षण प्रक्रियाओं द्वारा निष्पादित की जा सकती हैं, जो शिक्षण के विषय/अभिकर्ता, की मानसिक सक्षमता, व्यक्ति द्वारा अर्जित किए जाने वाले ज्ञान के प्रकार तथा सामाजिक-नैसर्गिक और पर्यावरणीय परिस्थितियों पर निर्भर होता है।
मानव का सीखना शिक्षा अथवा वैयक्तिक विकास के रूप में उत्पन्न हो सकता है। यह लक्ष्योन्मुखी हो सकता है अथवा प्रेरणा द्वारा समर्थित हो सकता है। सीखना कैसे प्रारंभ होता है, इसका अध्ययन तंत्रिका-मनोविज्ञान, शैक्षणिक मनोविज्ञान, अधिगम सिद्धांत और शिक्षा-शास्त्र का भाग है।
सीखना, अभ्यास अथवा प्राचीन अनुकूलता के परिणामस्वरूप उत्पन्न हो सकता है जैसा कि अनेक पशु प्रजातियों में देखा जाता है अथवा यह अधिक जटिल क्रियाकलापों के फलस्वरूप जैसे खेल द्वारा भी उत्पन्न होता है जिसे केवल सापेक्षी बुद्धिमान पशुओं और मनुष्यों में देखा जाता है। सीखना चेतन अथवा बिना चेतन जागरूकता में भी उत्पन्न हो सकता है। जनकीय तौर पर सीखने के मानवीय व्यवहारों के उदाहरण विद्यमान हैं जिनमें अभ्यास को 32 सप्ताह के भीतर परिणिती में परिवर्तित होते देखा जा सकता है, जो यह दर्शाता है कि केन्द्रीय तंत्रिका-तंत्र पर्याप्तत: विकसित है तथा सीखने के लिए तैयार है और विकास में अत्यंत पूर्व अवस्था पर स्मृति विद्यमान होती है।
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वेबसाइट पर जाएराष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना (एन ए टी एस )
भारत में राष्ट्रीय शिक्षुतावृत्ति प्रशिक्षण योजना एक-वर्षीय कार्यक्रम है जो तकनीकी दृष्टि से अर्हक युवाओं को व्यावहारिक ज्ञान और कौशल से लैस कर रहा है जो उनके कार्य क्षेत्र में उनके लिए अपेक्षित है।
वेबसाइट पर जाएहम सब प्रतिज्ञा करते हैं
राष्ट्र की ओर
भारत मेरा देश है तथा सभी भारतीय मेरे भाई और बहनें हैं। मैं अपने देश से प्रेम करता हूं तथा मुझे इसकी समृद्ध और वैविध्यपूर्ण विरासत पर गर्व है। मैं इसे और भी समृद्ध बनाने का सदैव प्रयास करूंगा
मैं अपने माता-पिता, शिक्षकों और बड़ों को सम्मान दूंगा तथा हर किसी के साथ विनम्रतापूर्वक व्यवहार करूंगा।
मैं अपने देश और देशवासियों के प्रति निष्ठा रखने का वचन देता हूं। उनकी कुशलता और समृद्धि में ही मेरी कुशलता और समृद्धि निहित है।
विस्तारपूर्वक पढ़ेंबाल अधिकारों के प्रति
भारत मेरा देश है तथा सभी भारतीय मेरे भाई और बहनें हैं। मैं अपने देश से प्रेम करता हूं तथा मुझे इसकी समृद्धि और वैविध्यपूर्ण विरासत पर गर्व है। मैं इसे और भी समृद्ध बनाने का सदैव प्रयास करूंगा
मैं अपने माता-पिता, शिक्षकों और बड़ों को सम्मान दूंगा तथा हर किसी के साथ विनम्रतापूर्वक व्यवहार करूंगा।
मैं अपने देश और देशवासियों के प्रति निष्ठा रखने का वचन देता हूं। उनकी कुशलता और समृद्धि में ही मेरी कुशलता और समृद्धि निहित है।
विस्तारपूर्वक पढ़ेंहमारी आचार नीति
आप व्यावसायिक आचार नीति से लैस हो सकते हैं, परंतु आपने व्यावसायिक नैतिकता के बारे में कम ही सुना होगा। नयाचार एक औपचारिक प्रणाली अथवा नियमों के सेट के रूप में कोडीकृत होते हैं जिन्हें लोगों के समूह द्वारा स्पष्टत: अंगीकृत किया जाता है। इसी प्रकार आप चिकित्सा नयाचार भी अपना सकते हैं। अत: नयाचारों को आंतरिक रूप से परिभाषित और अंगीकृत किया जाता है जबकि नैतिकता अन्य लोगों पर बाहर से अधिरोपित की जाती है।
मूल्य
मूल्य वे नियम होते हैं जिनके द्वारा हम सही या गलत, किसी काम को करना चाहिए या नहीं, अच्छा या बुरा के बारे में निर्णय लेते हैं। वे हमें बताते हैं कि कौन सी बात अधिक या कम महत्वपूर्ण है, कौन सी उपयोगी है जब हम एक मूल्य की तुलना में दूसरे मूल्य की पूर्ति करने का प्रयास करते हैं।
नैतिकता
नैतिकता मूल्यों की तुलना में वृहद सामाजिक अवयव है तथा इसकी एक अत्यंत व्यापक स्वीकार्यता है। नैतिकता अन्य मूल्यों की तुलना में अच्छे या बुरे के विषय में कहीं अधिक गहन अवधारणा है। अत: हम किसी व्यक्ति के बारे में मूल्यों के स्थान पर नैतिकता के आधार पर निर्णय लेते हैं। किसी व्यक्ति को अनैतिक तो कहा जा सकता है, परंतु उन्हें मूल्यों का अनुपालन न करने के लिए दर्शाने वाला कोई शब्द नहीं है।
नयाचार
आप व्यावसायिक नयाचारों से लैस हो सकते हैं, परंतु आपने व्यावसायिक नैतिकता के बारे में कम ही सुना होगा। नयाचार एक औपचारिक प्रणाली अथवा नियमों के सेट के रूप में कोडीकृत होते हैं जिन्हें लोगों के समूह द्वारा स्पष्टत: अंगीकृत किया जाता है। इसी प्रकार आप चिकित्सा नयाचार भी अपना सकते हैं। अत: नयाचारों को आंतरिक रूप से परिभाषित और अंगीकृत किया जाता है जबकि नैतिकता अन्य लोगों पर बाहर से अधिरोपित की जाती है।
यदि आप किसी पर नयाचारहीन होने का आरोप लगाते हैं, तो यह उसे अव्यावसायिक कहने के समतुल्य है तथा इसे पर्याप्त अपमान के रूप में लिया जाएगा और व्यक्तिगत माना जाएगा बजाए इसके कि आप उसे अनैतिक कहें (यह भी वह पसंद नहीं करेगा)