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प्रो. टी. जी. सीताराम
अध्यक्ष, एआईसीटीई

प्रो. (डॉ.) टी. जी. सीतारम ने 21 दिसंबर, 2022 को भारत सरकार के अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई), नई दिल्ली के अध्यक्ष का पदभार संभाला था। 

वह जुलाई 2019 से दिसंबर 2022 तक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी, असम के निदेशक थे।

उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से बीई (सिविल इंजीनियरिंग) करने के बाद वर्ष 1986 में भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर से मास्टर और 1991 में वाटरलू विश्वविद्यालय, ओंटारियो, कनाडा से पीएच.डी. की उपाधि हासिल की।

वाटरलू विश्वविद्यालय में व्याख्याता के रूप में काम करने के बाद 1992 से 1994 तक वह यूएसए के टेक्सास विश्वविद्यालय में रहे। जुलाई 1994 में उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में फैकल्टी के रूप में जॉइन किया। वह केंद्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (सीआईटी) कोकराझार, असम के निदेशक (अतिरिक्त प्रभार), सीआईटी, कोकराझार के बोर्ड ऑफ गवरनर्स के अध्यक्ष, आईआईटी गुवाहाटी के बोर्ड ऑफ गवरनर्स के अध्यक्ष और उत्तर पूर्व क्षेत्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (एनईआरआईएसटी), निर्जुली, अरुणाचल प्रदेश के प्रबंधन बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं। वर्तमान में वह भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर के परिषद सदस्य हैं।

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वह भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बैंगलोर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में वरिष्ठ प्रोफेसर हैं। उन्होंने पिछले 30 वर्षों से आईआईएससी में सेवा की है। उन्होंने 2015 से 2018 तक आईआईएससी में ऊर्जा और यांत्रिक विज्ञान के क्षेत्र में केएसआईआईडीसी के अध्यक्ष प्रोफेसर के रूप में कार्य किया है। उन्होंने आईआईएससी में बुनियादी ढांचे, टिकाऊ परिवहन और शहरी नियोजन संबंधी एक केंद्र और इन विषयों में मास्टर कार्यक्रम शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उन्होंने जापान, कनाडा, अमेरिका, हांगकांग, ऑस्ट्रेलिया और चीन जैसे देशों के कई विश्वविद्यालयों में विजिटिंग या मानद प्रोफेसर के रूप में काम किया है। वर्तमान में वह विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) के सदस्य हैं। यह बोर्ड एसईआरबी अधिनियम 2008 के तहत भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के माध्यम से स्थापित किया गया है। वह सीएसआईआर-सीबीआरआई (केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, रुड़की) के अनुसंधान परिषद और विश्वेश्वरैया औद्योगिक एवं प्रौद्योगिकी संग्रहालय बैंगलोर की कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष रह चुके हैं। वह राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (एनसीएसएम) के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य थे। वह ईसी एवं एआईसीटीई के परिषद सदस्य (2015-2022) भी रहे हैं। वह वर्तमान में भारतीय मानक ब्यूरो के बोर्ड सदस्य एवं केंद्रीय विद्युत अनुसंधान संस्थान और संस्कृति मंत्रालय की सोसायटी राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद के सदस्य हैं।

प्रोफेसर टी. जी. सीताराम के अनुसंधान का व्यापक क्षेत्र महासागर और तटीय क्षेत्र प्रबंधन, पृथ्वी विज्ञान, जल विज्ञान, भूकंप विज्ञान और प्राकृतिक खतरों सहित भू-तकनीकी अवसंरचना इंजीनियरिंग में आता है। उन्होंने बैंगलोर, लखनऊ और दिल्ली एनसीआर सहित भारत के कई शहरी केंद्रों का भूकंपीय माइक्रोजोनेशन किया है। वह भूकंपीय माइक्रोज़ोनेशन और साइट प्रभावों के विशेषज्ञ के रूप में पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। वह 4 वर्षों तक इंडियन सोसाइटी ऑफ अर्थक्वेक टेक्नोलॉजी (आईएसईटी) के अध्यक्ष रहे हैं। उन्होंने जुलाई 2021 में भू-तकनीकी भूकंप इंजीनियरिंग और मिट्टी की गतिशीलता में हालिया प्रगति पर आयोजित 7वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता की है। वह तटीय जलाशय अनुसंधान के अंतर्राष्ट्रीय एसोसिएशन (आईएसीआरआर) के अध्यक्ष थे। आईएसीआरआर का दृष्टिकोण तटीय जलाशयों के सभी पहलुओं को आगे बढ़ाने और तटीय क्षेत्रों के सतत विकास और प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए समर्पित दुनिया का अग्रणी संगठन बनना है।

प्रोफेसर टी. जी. सीतारम ने पिछले 35 वर्षों में भू-तकनीकी और बुनियादी ढांचा इंजीनियरिंग, भूकंपीय माइक्रोज़ोनेशन और मिट्टी की गतिशीलता, भू-तकनीकी भूकंप इंजीनियरिंग और पृथ्वी विज्ञान के क्षेत्र में व्यापक अनुसंधान एवं नवीन तकनीकों का विकास किया है। इन पर लगभग 500 टेक्निकल पेपर, गूगल स्कॉलर एच-इंडेक्स 55 और आई-10 इंडेक्स 156 के साथ 20 पुस्तकें उपलब्ध हैं जिनमें 9350 से अधिक उद्धरण हैं। उन्होंने 40 पीएच.डी. स्कालर्स, 35 मास्टर्स और 25 पोस्टडॉक्टोरल छात्र छात्राओं का मार्गदर्शन किया है। उन्होंने सतत शिक्षा कार्यशालाओं के जरिए हजारों इंडस्ट्री प्रोफेशनल्स और शिक्षकों को प्रशिक्षित किया है। उन्होंने 5 पेटेंट के लिए आवेदन किया है, 120 से अधिक परियोजनाओं के कंसल्टेंट रहे हैं और 2 स्टार्ट-अप कंपनियों स्थापित की हैं। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने उन्हें 2020, 2021 और 2022 में विभिन्न विषयों में सबसे अधिक उद्धृत अनुसंधान वैज्ञानिकों के लिए दुनिया के शीर्ष 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों में सूचीबद्ध किया था। वह श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अयोध्या में श्रीराम मंदिर शिलान्यास की निगरानी के लिए गठित आठ सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल में शामिल थे। कटरा के पास चिनाब नदी पर बने सबसे ऊंचे रेलवे पुल का निर्माण करने वाली कन्स्ट्रकशन कंपनी मेसर्स एफकोंस के सलाहकार रह चुके हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के अलावा कई अन्य राज्यों के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट भी पूरे किए हैं।

प्रोफेसर टी. जी. सीतारम 2010 से इंटरनेशनल जर्नल ऑफ जियोटेक्निकल अर्थक्वेक इंजीनियरिंग, (आईजेजीईई), पीए, यूएसए के मुख्य संपादक हैं। वह स्प्रिंगर ट्रांजैक्शंस इन सिविल एंड एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग सीरीज, बुक सीरीज, सिंगापुर के प्रधान संपादक हैं। वह जियोटेक्निक लेटर्स, एएससीई, जर्नल ऑफ मैटेरियल इन सिविल इंजीनियरिंग, ईजेजीई जैसे शोध के क्षेत्र में प्रतिष्ठित कई अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं के संपादकीय बोर्ड के सदस्य थे। उन्होंने दिसंबर 2020 में आईजीसी में प्रतिष्ठित भारतीय भू-तकनीकी सोसायटी का वार्षिक व्याख्यान दिया है। वह भारतीय भू-तकनीकी सोसायटी के मानद फेलो और कंपन विशेषज्ञ परिषद के मानद फेलो हैं। 2015 में उन्हें जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग में जीवन भर के योगदान के लिए आईजीएस कुकलेमैन पुरस्कार दिया गया था। देश में जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए आईआईटी रुड़की की ओर से उन्हें प्रोफेसर गोपाल रंजन अनुसंधान पुरस्कार प्रदान किया गया था। आईआईएससी, बैंगलोर ने वर्ष 2014 के लिए सतत विकास के क्षेत्र में उत्कृष्ठ योगदान के लिए उन्हें अमूल्य और विमला रेड्डी व्याख्यान पुरस्कार से सम्मानित किया। 2002 में इंजीनियरिंग साइंस में असाधारण योगदान के लिए उन्हें कर्नाटक सरकार के युवा वैज्ञानिकों के लिए सर सीवी रमन राज्य पुरस्कार प्रदान किया गया था। कर्नाटक सरकार की ओर से उन्हें 2023 में सर एम विश्वेश्वरैया वरिष्ठ वैज्ञानिक राज्य पुरस्कार दिया गया। वह एएससीई के फेलो, आईसीई (यूके) के फेलो, एकेडमी ऑफ जियो-प्रोफेशनल्स, एएससीई से जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग के डिप्लोमैट (डी.जी.) हैं। वह आईजीएस के मानद फेलो, आईएसईटी और आईएसईएस समेत कई अन्य सोसाइटी के फेलो हैं। वह इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स से प्रमाणित पेशेवर इंजीनियर और चार्टर्ड इंजीनियर भी हैं।

आईआईटी गुवाहाटी के निदेशक के रूप में उन्होंने 2020-21 के दौरान वहां 5 नए स्कूल और 5 नए एकेडमिक मल्टीडिसिपलिनरी सेंटर खोले। क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग 2022 में भारत में प्रति संकाय उद्धरण में आईआईटी गुवाहाटी को दूसरे स्थान पर (वैश्विक स्तर पर 41वें स्थान पर) पहुंचाया। संस्थान ने 2023 में भी अपनी स्थिति में सुधार किया है। आईआईटी गुवाहाटी ने 2019 से 95 रैंक की छलांग लगाकर 2022 में वैश्विक स्तर पर 395वीं रैंक हासिल की। उनके नेतृत्व में एनआईआरएफ रैंकिंग में आईआईटी गुवाहाटी ने इंजीनियरिंग में अपनी 7वीं रैंक बरकरार रखी। उन्होंने यहां नया इंडस्ट्री इंटरेक्शन और स्पेशल इनिशिएटिव सेल बनाकर बड़ी संख्या में कंपनियों को आकर्षित किया है और स्टार्टअप को बढ़ावा दिया है। उन्होंने यहां रिसर्च पार्क और टेक्नोलॉजी इन्क्यूबेशन सेंटर शुरू किया, अनुसंधान के माहौल में सुधार किया। डेटा साइंसेज और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्कूल, स्कूल ऑफ एग्रो एंड रुरल टेक्नोलोजीज शुरू करने के लिए अतिरिक्त परोपकारी धन प्राप्त किया। आईआईटी गुवाहाटी में वैज्ञानिक बुनियादी ढांचे को उन्नत करने की उनकी योजनाएं सराहनीय हैं। उन्होंने आईआईटी गुवाहाटी में एक मेडिकल स्कूल और अत्याधुनिक मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल खोलने के लिए सरकार के साथ रणनीतिक साझेदारी विकसित की।

वह कई एनआईटी, आईआईईएसटी, एनसीएसएम, एआईसीटीई, एनईएसएसी आदि के के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य थे। वह दक्षिण पूर्व, दक्षिण एशिया और ताइवान विश्वविद्यालयों (एसएटीयू प्रेसिडेंट्स फोरम) के अध्यक्षों के फोरम के सक्रिय सदस्य हैं। वह प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सोसायटी, कई अन्य संघों और विश्वविद्यालयों में कई वैज्ञानिक समितियों के सदस्य हैं। उन्होंने भारत और विदेश में कई विश्वविद्यालयों और संस्थानों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन को लेकर केस स्टडी के साथ व्याख्यान दिये हैं और विमर्श किया है।

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