भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने डिजिटल पहलों पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आज (9 जुलाई, 2017) नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में 'स्वयं', 32 स्वयं प्रभा तथा राष्ट्रीय शैक्षिक निपेक्षागार के शुभारंभ समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए माननीय राष्ट्रपति ने कहा कि प्रौद्योगिकी, दूर संचार की पैठ और इंटरनेट के विस्तार ने पहुंच और गुणवत्ता के संदर्भ में विद्यमान अंतर को कम करने का अवसर प्रदान किया है और हमें इस अवसर का इष्टतम लाभ उठाना चाहिए। डिजिटल प्रौद्योगिकी एक श्रेष्ठ शिक्षकों को सीधे ही एक बड़ी संख्या में ऐसे विद्यार्थियों को पढ़ाने में समर्थ बनाती है, जो उसकी कक्षा में भौतिक रूप में विद्यमान नहीं होते हैं। आईसीटी समाधान पारस्परिक संपर्क के शिक्षण अनुभव प्रदान करते हैं, जिनके माध्यम से देश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में स्थित विद्यार्थी भी श्रेष्ठ शिक्षकों के व्याख्यानों से लाभान्वित होते हैं। डिजिटल माध्यम सस्ते हैं, आसानी से पहुंच योग्य हैं, पारस्परिक संपर्कयुक्त हैं तथा ये लोगों को उनकी क्षमता के अनुसार सीखने का लचीलापन प्रदान करते हैं। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है कि इनका प्रयोग शिक्षण के लिए व्यापक रूप से किया जा रहा है।
माननीय राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें इस बात की प्रसन्नता है कि स्वयं पोर्टल पूरी तरह से कार्य करने लगा है जो किसी व्यक्ति को अपने स्थान पर रहते हुए ही श्रेष्ठ शिक्षकों द्वारा संचालित पाठ्यक्रमों को प्राप्त करने में समर्थ बनाता है। स्वयं शिक्षकों के मध्य श्रेष्ठतम शिक्षकों के लिए एक आह्वान होना चाहिए कि वे मूक (एमओओसी) में इस प्लेटफार्म पर नवीन क्षेत्रों के पाठ्यक्रमों को प्रस्तुत करें। यह अन्य शिक्षकों के लिए भी आह्वान है कि वे इस सामग्री का प्रयोग करें तथा अपनी स्वयं की शिक्षण क्षमता का सुधार करें। अंततः इसके माध्यम से विद्यार्थियों द्वारा शिक्षा के बेहतर स्तर हासिल किए जाने चाहिए।
माननीय राष्ट्रपति ने कहा कि दुर्गम स्थानों तक पहुंचने के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी का प्रयोग समय की कसौटी पर खरा उतरा है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि इस प्रौद्योगिकी के परिमाण और पहुंच में 32 स्वयं प्रभा डीटीएच चैनलों के माध्यम से कई गुना वृद्धि की गई है। ये चैनल ग्रामीण क्षेत्रों में तथा सुदूरवर्ती क्षेत्रों में विद्यार्थियों को लाभान्वित करेंगे जहां अभी तक प्रौद्योगिकी की पैठ बहुत अधिक नहीं हो पाई है।