वर्ष 1991 से 2007 के दौरान, एनपीआईयू ने विश्व बैंक द्वारा समर्थित भारत सरकार की तीन तकनीकी शिक्षा परियोजनाओं को क्रियान्वित किया जिन्होंने तकनीकी शिक्षा प्रणाली को सृदृढ़ बनाने और उसका उन्नयन करने में सहायता दी तथा 27 राज्यों में 552 पॉलिटेक्निकों को लाभान्वित किया जिनमें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा पुदुचेरी भी शामिल थे। तीन परियोजनाओं को परियोजना प्रबंधन और क्रियान्वयन पर "अत्यंत संतोषजनक के रूप में" दर्जा दिया गया है, जो विश्व बैंक द्वारा प्रदान दिया या गया उच्चतम दर्जा है। तीन तकनीकी परियोजनाओं की सफलताओं ने भारत सरकार को समग्र रूप से तकनीकी शिक्षा प्रणाली का व्यवस्थित ढंग से रूपांतरण करने के लिए विश्व बैंक से समान वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया है जिसमें इंजीनियरी शिक्षा में समग्र गुणवत्ता संवर्धन पर विशेष बल प्रदान किया गया है।
विश्व बैंक ने भारत में तकनीकी शिक्षा को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए उसके व्यवस्थित ढंग से रूपातंरण पर विशेष रूचि दर्शाई है तथा भारत सरकार को 2 अभवा 3 चरणों में 10-12 वर्ष की अवधि के एक दीर्घकालिक कार्यक्रम के रूप में तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता संवर्धन कार्यक्रम (टीईक्यूआईपी) आरंभ करने में सहायता प्रदान करने में अपनी इच्छा दर्शाई है।
इसके परिणामस्वरूप, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 (1992 में संशोधित) के अनुसरण में टीईक्यूआईपी की परिकल्पना की गई थी जिसका लक्ष्य तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता में संवृद्धि करना और उसमें सुधार लाना तथा संस्थाओं की विद्यमान क्षमताओं में वृद्धि करना था ताकि वे गतिशील मांग-चलित, गुणवत्ता के प्रति सतर्क, दक्ष और अग्रदर्शी बन सकें तथा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय, दोनों ही स्तरों पर उत्पन्न होने वाले त्वरित आर्थिक और प्रौद्योगिकी विकासों के प्रति उत्तरदायी बन सकें।
भारत सरकार का तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता संवर्धन कार्यक्रम (टीईक्यूआईपी) देश में तकनीकी शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए विश्व बैंक द्वारा समर्थित परियोजना के रूप में क्रियान्वित किया जा रहा है।
टीईक्यूआईपी चरण-1 के निम्नलिखित उद्देश्य हैं :
- शैक्षणिक उत्कृष्टता का संवर्धन;
- प्रणाली प्रबंधन क्षमता सुधार;
- गुणवत्ता संवर्धन और संसाधन साझेदारी के लिए संस्थाओं की नेटवर्किंग
- गुणवत्ता में संवृद्धि तथा समुदाय और अर्थव्यवस्था तक सेवाओं की पहुंच
टीईक्यूआईपी का चरण-I, 13 राज्यों में क्रियान्वित किया गया था तथा इसमें 127 संस्थाएं शामिल थीं जिनमें 18 केन्द्रो द्वारा वित्त-पोषित संस्थाएं थीं। यह मार्च 2003 से प्रभावी हुआ तथा 31 मार्च, 2009 को समाप्त हुआ।
अगले चरण के रूप में, टीईक्यूआईपी-II की तैयारी प्रगति पर है।
राष्ट्रीय परियोजना क्रियान्वयन एकक